Friday 23 April 2021

అజరామర సూక్తి – 217 अजरामर सूक्ती - 217 Eternal Quote – 217

 అజరామర సూక్తి  217

अजरामर सूक्ती -  217

Eternal Quote – 217

 https://cherukuramamohan.blogspot.com/2021/04/217-217-eternal-quote-217.html

साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।

तृणं न खादन्नपि जीवमानः तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥ नीतिशतक

 

సాహిత్య సంగీత కళా విహీనః సాక్షాత్ పశుః పృచ్ఛ విషాణ హీనః l

తృణం న ఖాదన్నపి జీవమానః తద్భాగధేయం పరమం పశూనాం ll

సంగీతం   సాహిత్యం   లలిత  కళలు   వీటి  మీద  మక్కువ లేని మనుజుడు  పశువుతో  సమానము. నేను వ్రాసిన ఈ పద్యమును గమనించండి.

సంగీతము సాహిత్యము

సంగతి రసరమ్యమైన సత్కళ రీతుల్  

ఇంగితము లేనివాడిల

శృంగము వాలములు లేని చిక్కని పశువే!

సంగీతము కవిత్వమును గూర్చి పెద్దలు ఈ విధముగా చెప్పినారు. దానికి నేను వ్రాసిన తెనుగు సేత ఇందుతో పొండుపరచినాను.

శిశుర్వేత్తి పశుర్వేత్తి వేత్తి గానరసం ఫణిః l

కో వేత్తి కవితా తత్త్వం శివో జానాతి వా నవా ll

అంటే సంగీతాన్ని శిశువులుజంతువులుమరియు పాములు సమానంగా అనుభవించి దానికి వశులౌతారు.

ఆది ప్రణవనాదమైన "ఓం"కారం నుండి ఉద్భవించినది సంగీతం. సంగీతం మానసికోల్లాసానికే గాకపరమాత్మను చేరుకునేందుకు ఉపయోగపడే సాధనం. "మనఃస్థితిని నియంత్రించడానికి సంగీతం ఒక గొప్ప మార్గం".సంగీత ఆస్వాదన జీవితాన్ని ఉత్తమంగా చేస్తుంది . సంగీత సాధన ద్వారా మేధస్సుఏకాగ్రతసహనం పెరుగుతుంది.

శిశువుల పశువుల పాముల

వశవర్తులజేయు గాన వాహిని గనగా

యశ కవిత భావ తత్వము

ఈశునికే కష్ట తరము ఇతరులకగునే

 

साहित्यसङ्गीतकलाविहीनः साक्षात्पशुः पुच्छविषाणहीनः ।

तृणं न खादन्नपि जीवमानः तद्भागधेयं परमं पशूनाम् ॥ नीतिशतक

 जो साहित्य संगीत तथा कला से विहीन है वह तो साक्षात बगैर पूंछ और सिंगो वाला जानवर ही है।

 अगर देखा जाए तो इस संसार के सारे पशुओं में से केवल मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो हंस सकता हैखुशियां 

मना सकता हैकिसी अच्छे गीत को सुनकर अथवा किसी सुंदर चित्र को देखकर या कोई अच्छी कहानी सुनकर 

मनुष्य प्राणी प्रफुल्लित हो सकता है।  परंतु कुछ मनुष्य ऐसे होते हैं जिन्हें इन कलाओं से कोई लेना देना नहीं होता 

है।

 खानापीनाडरनासोना और अपना परिवार बढ़ाना ये काम तो पशु भी कर लेते हैं। और अगर हम इंसान भी 

केवल  यही काम करते रहे,  तो हमने और अन्य जानवरों में अंतर ही नहीं रहेगा।  बस एक चीज है जो हमें और 

अन्य पशुओं में भेद बनाती है। और वह है साहित्यसंगीत और कला।  इन चीजों का  रसपान पशु नहीं कर सकते 

हैं।  केवल मनुष्य कर सकते हैं।

 

इसीलिए हमारे सुभाषित कार कहते हैं कि जो मनुष्य केवल पैसा कमाने के पीछे लगा रहता है हाथ खाना-पीना 

सोना और अपना परिवार बढ़ाना यही उसके लिए जीवन का मतलब होता है वह इंसान  तो बिना सींग और पूंछ 

वाला जानवर ही तो है।

वह मनुष्य घास न खाते हुए भी जीता हैयह तो पशुओं का बहुत बड़ा भाग्य ही है।

 

इस पंक्ति में सुभाषितकार उस पत्थर दिल इंसान का उपहास कर रहे हैं। पहली पंक्ति में तो उसे बगैर सींग और 

पूंछ वाला पशु कहा। अब तो यह अन्य पशुओं का भाग्य है कि यह पशु जैसा इंसान बगैर घास खाए जीता है।( 

क्योंकि अगर वह भी घास खाकर जीने लगेगा,  तो पशुओं को परेशानी होने लगेंगी। उनके भोजन में एक हिस्सेदार 

बढ़ जाएगा।)

शिशुर्वेत्ति पशुर्वेत्ति वेत्ति गानरसं फणी।

साहित्य रस माधुर्यं शङ्करो वेत्ति वा न वा॥

शिशु  पशु और सांप भी संगीत सुननेसे परवश होजाठे हैं l कविता तत्वको तो परमेश्वर को भी जानना मुशकिल है, 

साधारण मानव हमें कितना कष्ट होगी कविता के आत्मा को पकड़ने केलिए! 

sāhityasagītakalāvihīnaḥ sākṣātpaśu pucchaviṣāṇahīna 

tṛṇa na khādannapi jīvamānaḥ tadbhāgadheya parama paśūnā - nītiśataka

 He who is devoid of (the knowledge of) literary compositions, music/melody or art forms, is an 

embodiment of an animal without a tail and horns. The animals are fortunate that he survives 

without eating up the grass (of their share)!

 The poet opines that those devoid of knowledge of literature, scriptures or a flair for music 

and other art forms (vidyā in short) is as good as an animal. He just falls short on the faculties 

of a tail and horns! :). The poet further says that the real animals should be thankful that such 

human being doesn't consume grass from their share of food!

 The essence of this is the fact that a human being needs to not only be appreciative of 

different art forms but should also value learning of all forms. Vidyā (knowledge) is one faculty 

that sets humans apart from animals. If that is not valued, isn't he the same as animals?

 Knowledge is the food for the soul! Feed the soul with healthy food in heavenly portions :).

స్వస్తి.          

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